Shri Krishna Janmashtami 2024: Celebrating the Divine Avatar

Shri Krishna Janmashtami 2024: Celebrating the Divine Avatar

Shri Krishna Janmashtami 2024: Celebrating the Divine Avatar

Shri Krishna Janmashtami 2024: Celebrating the Divine Avatar

Welcome to another festive dive with Triple W, where we explore the beauty of our rich cultural tapestry. As we approach Shri Krishna Janmashtami 2024, the air buzzes with devotion, joy, and anticipation. This celebration isn’t just about rituals; it’s about connecting with the divine essence of Lord Krishna, whose teachings and playful spirit have transcended time.

Janmashtami, marking the birth of Krishna, is a reminder of the eternal battle between good and evil, with the promise that dharma always prevails. Whether it’s the soulful chanting of bhajans, the colorful reenactments of his leelas, or the midnight celebrations symbolizing his divine arrival, this festival resonates with devotees worldwide. Join me as we delve into the significance, rituals, and timeless wisdom that make Shri Krishna Janmashtami a truly divine celebration.

The festival of Shri Krishna Janmashtami is celebrated with great enthusiasm all across India every year. This day marks the birth of Lord Shri Krishna, who holds a special place in Hinduism. In 2024, this festival also holds significant religious and cultural importance for devotees. Let’s explore some key aspects of Shri Krishna Janmashtami in this blog.

The Story of Shri Krishna’s Birth

Shri Krishna was born in the Dvapara Yuga when unrighteousness and sin prevailed on Earth. Kansa, the cruel king of Mathura, was terrified of his sister Devaki’s eighth son, as a prophecy had foretold that this child would be the cause of his death. Kansa imprisoned Devaki and Vasudeva and killed all their children. However, when Shri Krishna was born, by the grace of God, Vasudeva was able to safely take him to his friend Nanda’s house in Gokul. In remembrance of this event, the festival of Shri Krishna Janmashtami is celebrated.

When Will Shri Krishna Janmashtami 2024 Be Celebrated?

In 2024, Shri Krishna Janmashtami will be celebrated on the 26th and 27th of August. The date of this festival depends on the lunar calendar, so it is observed over two days. Some people will celebrate it on August 26th following the Smarta or Vaishnava tradition, while others will celebrate it with great fervor on August 27th.

How to Worship Lord Shri Krishna

The worship of Shri Krishna Janmashtami is performed at night, as it is believed that Shri Krishna was born at midnight. Before the worship, devotees observe a fast, and in the evening, they perform the Abhishek (ceremonial bath) of the Lord’s idol. The Abhishek is done using milk, curd, ghee, honey, and Ganges water. Afterward, the Lord is adorned with new clothes, and offerings of peacock feathers, a flute, and butter with sugar are made. Devotees perform the Mangala Aarti and then celebrate the birth of Lord Shri Krishna at midnight with great joy.

Devotional Songs for Lord Shri Krishna

Devotional songs (bhajans) hold special significance on the occasion of Shri Krishna Janmashtami. Singing bhajans creates a devotional atmosphere. Some popular bhajans, like “Shri Krishna Govind Hare Murari,” “Yashoda Ke Lal,” “Madhurashtakam,” and “Achyutam Keshavam,” are especially sung during this festival. Devotees sing bhajans throughout the night while waiting for the birth of Lord Shri Krishna.

Conclusion

Shri Krishna Janmashtami is a festival that inspires us to walk the path of righteousness, devotion, and truth. From the life of Lord Shri Krishna, we learn the lesson of facing every challenge with patience and faith. This Janmashtami, let us all come together to worship Lord Shri Krishna and imbibe His divine message in our lives.

~ Triple W

 

श्री कृष्ण जन्माष्टमी 2024: दिव्य अवतार का उत्सव

श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व हर वर्ष पूरे भारत में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। यह दिन भगवान श्री कृष्ण के जन्म का उत्सव है, जिसे हिंदू धर्म में विशेष महत्व दिया जाता है। इस वर्ष 2024 में भी, यह पर्व भक्तों के लिए विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है। आइए, इस ब्लॉग में हम जानें श्री कृष्ण जन्माष्टमी से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में।

श्री कृष्ण के जन्म की कथा

श्री कृष्ण का जन्म द्वापर युग में हुआ था, जब धरती पर अधर्म और पाप का बोलबाला था। कंस, जो कि मथुरा का क्रूर राजा था, अपनी बहन देवकी के आठवें पुत्र से भयभीत था क्योंकि एक भविष्यवाणी के अनुसार वह पुत्र उसकी मृत्यु का कारण बनने वाला था। कंस ने देवकी और वासुदेव को कारागार में बंद कर दिया और उनके सभी संतानों को मार डाला। लेकिन जब श्री कृष्ण का जन्म हुआ, तो ईश्वर की कृपा से वासुदेव उन्हें गोकुल में अपने मित्र नंद के घर सुरक्षित पहुंचा सके। इसी घटना की स्मृति में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव मनाया जाता है।

कब मनायी जाएगी श्री कृष्ण जन्माष्टमी 2024?

इस वर्ष 2024 में, श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 26 और 27 अगस्त को मनाया जाएगा। इसे मनाने की तिथि चंद्र कैलेंडर पर निर्भर करती है, इसलिए यह पर्व दो दिन तक मनाया जाता है। कुछ लोग 26 अगस्त को स्मार्त या वैष्णव परंपरा के अनुसार इसे मनाएंगे, जबकि कुछ लोग 27 अगस्त को इसे धूमधाम से मनाएंगे।

कैसे करें भगवान श्री कृष्ण की पूजा

श्री कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा रात्रि में की जाती है, क्योंकि मान्यता है कि श्री कृष्ण का जन्म मध्यरात्रि के समय हुआ था। पूजा करने से पहले व्रत रखा जाता है और शाम को भक्तजन भगवान की मूर्ति का अभिषेक करते हैं। अभिषेक के लिए दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल का उपयोग किया जाता है। इसके बाद भगवान को नए वस्त्र पहनाए जाते हैं और उन्हें मोरपंख, बांसुरी और माखन मिश्री का भोग लगाया जाता है। भक्तजन मंगला आरती करते हैं और फिर मध्यरात्रि को भगवान श्री कृष्ण के जन्म का उत्सव धूमधाम से मनाते हैं।

भगवान श्री कृष्ण के भजन Shri Krishna Janmashtami 2024: Celebrating the Divine Avatar

श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर भजन का विशेष महत्व है। भजन गाने से वातावरण में भक्ति की भावना उत्पन्न होती है। कुछ प्रसिद्ध भजन जैसे “श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी”, “यशोदा के लाल”, “मधुराष्टकम्”, और “अच्युतम केशवम” इस पर्व पर विशेष रूप से गाए जाते हैं। भक्तजन पूरी रात भजन गाते हैं और भगवान श्री कृष्ण के जन्म का इंतजार करते हैं।

श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी

श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥
हे नाथ नारायण…॥
पितु मात स्वामी, सखा हमारे,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥
हे नाथ नारायण…॥
॥ श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी…॥

बंदी गृह के, तुम अवतारी
कही जन्मे, कही पले मुरारी
किसी के जाये, किसी के कहाये
है अद्भुद, हर बात तिहारी ॥
है अद्भुद, हर बात तिहारी ॥
गोकुल में चमके, मथुरा के तारे
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥

श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥
पितु मात स्वामी, सखा हमारे,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥

अधर पे बंशी, ह्रदय में राधे
बट गए दोनों में, आधे आधे
हे राधा नागर, हे भक्त वत्सल
सदैव भक्तों के, काम साधे ॥
सदैव भक्तों के, काम साधे ॥
वही गए वही, गए वही गए
जहाँ गए पुकारे
हे नाथ नारायण वासुदेवा॥

श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥
पितु मात स्वामी सखा हमारे,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥

गीता में उपदेश सुनाया
धर्म युद्ध को धर्म बताया
कर्म तू कर मत रख फल की इच्छा
यह सन्देश तुम्ही से पाया
अमर है गीता के बोल सारे
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥

श्री कृष्णा गोविन्द हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥
पितु मात स्वामी सखा हमारे,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥

त्वमेव माता च पिता त्वमेव
त्वमेव बंधू सखा त्वमेव
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव
त्वमेव सर्वं मम देव देवा
॥ श्री कृष्णा गोविन्द हरे मुरारी…॥

राधे कृष्णा राधे कृष्णा
राधे राधे कृष्णा कृष्णा ॥
राधे कृष्णा राधे कृष्णा
राधे राधे कृष्णा कृष्णा ॥

हरी बोल, हरी बोल,
हरी बोल, हरी बोल ॥

राधे कृष्णा राधे कृष्णा
राधे राधे कृष्णा कृष्णा
राधे कृष्णा राधे कृष्णा
राधे राधे कृष्णा कृष्णा ॥

 

मधुराष्टकम्

अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरं ।
हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥१॥

वचनं मधुरं चरितं मधुरं वसनं मधुरं वलितं मधुरं ।
चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥२॥

वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुरः पाणिर्मधुरः पादौ मधुरौ ।
नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥३॥

गीतं मधुरं पीतं मधुरं भुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरं ।
रूपं मधुरं तिलकं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥४॥

करणं मधुरं तरणं मधुरं हरणं मधुरं रमणं मधुरं ।
वमितं मधुरं शमितं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥५॥

गुञ्जा मधुरा माला मधुरा यमुना मधुरा वीची मधुरा ।
सलिलं मधुरं कमलं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥६॥

गोपी मधुरा लीला मधुरा युक्तं मधुरं मुक्तं मधुरं।
दृष्टं मधुरं सृष्टं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥७॥

गोपा मधुरा गावो मधुरा यष्टिर्मधुरा सृष्टिर्मधुरा ।
दलितं मधुरं फलितं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥८॥
– श्रीवल्लभाचार्य कृत

 

 

अच्युतम केशवम

मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो

ओ, मैया मोरी…
ओ, मैया मोरी…
ओ, मैया मोरी…

मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो
मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो
मैं नहीं माखन खायो
ओ, मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो
ओ, मैया मोरी…
ओ, मैया मोरी…

भोर भयो गैयन के पाछे,
मधुवन मोहिं पठायो ।
चार पहर बंसीबट भटक्यो,
साँझ परे घर आयो ॥

मैं बालक बहिंयन को छोटो,
छींको किहि बिधि पायो ।
ग्वाल बाल सब बैर परे हैं,
बरबस मुख लपटायो ॥

तू जननी मन की अति भोरी,
इनके कहे पतिआयो ।
जिय तेरे कछु भेद उपजि है,
जानि परायो जायो ॥

यह लै अपनी लकुटि कमरिया,
बहुतहिं नाच नचायो ।
सूरदास तब बिहँसि जसोदा,
लै उर कंठ लगायो ॥         – सूरदास 

जी लेंगे सरकार तेरी सरकारी में,
जी लेंगे सरकार तेरी सरकारी में,
हमें रख लेना श्री श्याम तेरी दरबारी में,

तेरा रुतबा तेरा नजारा दो जहा से न्यारा है,
दिलबर मेरे तुमसा न कोई लगदा मुझको प्यारा है,
आ गया मुजको मजा तेरी यारी में,
हमें रख लेना श्री श्याम तेरी…….

हुकुम जोभी करदे बाबा काम वैसा ही करू,
तेरे लिए अगर मरना पड़ा तो,
तेरे दर पर ही मरू,
क्या रखा है एसी रिश्तेदारी में,
हमें रख लेना श्री श्याम तेरी…..

तेरी लीला तेरे भजनों को सदा गाती रहू,
ऐसी किरपा करदे बाबा दर तेरे आती रहू,
क्या करू बन जाऊ तेरी प्यारी मैं,
हमें रख लेना श्री श्याम तेरी…

तेरी किरपा हो जाये अगर जग में तेरा नाम करू,
देना इतनी शक्ति बाबा आफतो से ना डरु,
श्याम नाम ॐचा करदे दुनिया सारी में,
हमें रख लेना श्री श्याम तेरी……             – जयाकिशोरी जी 

गोविन्द जय-जय, गोपाल जय-जय ।

गोविन्द जय-जय, गोपाल जय-जय ।
राधा-रमण हरि, गोविन्द जय-जय ॥ 1 ॥
॥ गोविन्द जय-जय… ॥

ब्रह्माकी जय-जय, विष्णूकी जय-जय ।
उमा- पति शिव शंकरकी जय-जय ॥ 2 ॥
॥ गोविन्द जय-जय… ॥

राधाकी जय-जय, रुक्मिणिकी जय-जय ।
मोर-मुकुट वंशीवारेकी जय-जय ॥ 3 ॥
॥ गोविन्द जय-जय… ॥

गंगाकी जय-जय, यमुनाकी जय-जय ।
सरस्वती, तिरवेणीकी जय-जय ॥ 4 ॥
॥ गोविन्द जय-जय… ॥

रामकी जय-जय श्यामकी जय-जय ।
दशरथ-कुँवर चारों भैयों की जय-जय ॥ 5 ॥
॥ गोविन्द जय-जय… ॥

कृष्णाकी जय-जय, लक्ष्मीकी जय-जय ।
कृष्ण-बलदेव दोनों भइयोंकी जय-जय ॥ 6 ॥

गोविन्द जय-जय, गोपाल जय-जय ।
राधा-रमण हरि, गोविन्द जय-जय ॥

 

नन्द के आनंद भयो, जय कन्हिया लाल की ॥

आनंद उमंग भयो,
जय हो नन्द लाल की ।
नन्द के आनंद भयो,
जय कन्हिया लाल की ॥

बृज में आनंद भयो,
जय यशोदा लाल की ।
हाथी घोडा पालकी,
जय कन्हिया लाल की ॥

जय हो नंदलाल की,
जय यशोदा लाल की ।
गोकुल में आनंद भयो,
जय कन्हिया लाल की ॥
॥ आनंद उमंग भयो…॥

आनंद उमंग भयो,
जय हो नन्द लाल की ।
नन्द के आनंद भयो,
जय कन्हिया लाल की ॥

बृज में आनंद भयो,
जय यशोदा लाल की ।
नन्द के आनंद भयो,
जय कन्हिया लाल की ॥

आनंद उमंग भयो,
जय हो नन्द लाल की ।
गोकुल में आनंद भयो,
जय कन्हिया लाल की ॥

जय हो नंदलाल की,
जय यशोदा लाल की ।
हाथी घोडा पालकी,
जय कन्हिया लाल की ॥

आनंद उमंग भयो,
जय हो नन्द लाल की ।
नन्द के आनंद भयो,
जय कन्हिया लाल की ॥

बृज में आनंद भयो,
जय यशोदा लाल की ।
नन्द के आनंद भयो,
जय कन्हिया लाल की ॥

आनंद उमंग भयो,
जय हो नन्द लाल की ।
नन्द के आनंद भयो,
जय कन्हिया लाल की ॥

कोटि ब्रह्माण्ड के,
अधिपति लाल की ।
हाथी घोडा पालकी,
जय कन्हिया लाल की ॥

गौ चरने आये,
जय हो पशुपाल की ।
गोकुल में आनंद भयो,
जय कन्हिया लाल की ॥

कोटि ब्रह्माण्ड के,
अधिपति लाल की ।
नन्द के आनंद भयो,
जय कन्हिया लाल की ॥

गौ चरने आये,
जय हो पशुपाल की ।
नन्द के आनंद भयो,
जय कन्हिया लाल की ॥

पूनम के चाँद जैसी,
शोभी है बाल की ।
हाथी घोडा पालकी,
जय कन्हिया लाल की ॥

आनंद उमंग भयो,
जय हो नन्द लाल की ।
गोकुल में आनंद भयो,
जय कन्हिया लाल की ॥

कोटि ब्रह्माण्ड के,
अधिपति लाल की ।
नन्द के आनंद भयो,
जय कन्हिया लाल की ॥

गौ चरने आये,
जय हो पशुपाल की ।
नन्द के आनंद भयो,
जय कन्हिया लाल की ॥

भक्तो के आनंद्कनद,
जय यशोदा लाल की ।
हाथी घोडा पालकी,
जय कन्हिया लाल की ॥

जय हो यशोदा लाल की,
जय हो गोपाल की ।
गोकुल में आनंद भयो,
जय कन्हिया लाल की ॥

कोटि ब्रह्माण्ड के,
अधिपति लाल की ।
नन्द के आनंद भयो,
जय कन्हिया लाल की ॥

गौ चरने आये,
जय हो पशुपाल की ।
नन्द के आनंद भयो,
जय कन्हिया लाल की ॥

आनंद से बोलो सब,
जय हो बृज लाल की ।
हाथी घोडा पालकी,
जय कन्हिया लाल की ॥

जय हो बृज लाल की,
पावन प्रतिपाल की ।
गोकुल में आनंद भयो,
जय कन्हिया लाल की ॥

कोटि ब्रह्माण्ड के,
अधिपति लाल की ।
नन्द के आनंद भयो,
जय कन्हिया लाल की ॥

गौ चरने आये,
जय हो पशुपाल की ।
नन्द के आनंद भयो,
जय कन्हिया लाल की॥

आनंद उमंग भयो,
जय हो नन्द लाल की ।
नन्द के आनंद भयो,
जय कन्हिया लाल की ॥
॥ बृज में आनंद भयो…॥

जग में सुन्दर हैं दो नाम, चाहे कृष्ण कहो या राम।

जग में सुन्दर हैं दो नाम,
चाहे कृष्ण कहो या राम।
बोलो राम राम राम,
बोलो श्याम श्याम श्याम ॥
माखन ब्रज में एक चुरावे,
एक बेर भिलनी के खावे ।
प्रेम भाव से भरे अनोखे,
दोनों के हैं काम ॥
बोलो राम राम राम,
बोलो श्याम श्याम श्याम ॥

जग में सुन्दर हैं दो नाम,
चाहे कृष्ण कहो या राम ।
बोलो राम राम राम,
बोलो श्याम श्याम श्याम ॥

एक ह्रदय में प्रेम बढ़ावे,
एक ताप संताप मिटावे ।
दोनों सुख के सागर हैं,
और दोनों पूरण काम ॥
बोलो राम राम राम,
बोलो श्याम श्याम श्याम ॥

जग में सुन्दर हैं दो नाम,
चाहे कृष्ण कहो या राम ।
बोलो राम राम राम,
बोलो श्याम श्याम श्याम ॥

एक कंस पापी को मारे,
एक दुष्ट रावण संहारे ।
दोनों दीन के दुःख हरत हैं,
दोनों बल के धाम ॥
बोलो राम राम राम,
बोलो श्याम श्याम श्याम ॥

जग में सुन्दर हैं दो नाम,
चाहे कृष्ण कहो या राम ।
बोलो राम राम राम,
बोलो श्याम श्याम श्याम ॥

एक राधिका के संग राजे,
एक जानकी संग बिराजे ।
चाहे सीता-राम कहो,
या बोलो राधे-श्याम ॥
बोलो राम राम राम,
बोलो श्याम श्याम श्याम ॥

जग में सुन्दर हैं दो नाम,
चाहे कृष्ण कहो या राम ।
बोलो राम राम राम,
बोलो श्याम श्याम श्याम ॥  

ये चमक ये दमक

ये चमक ये दमक,
फूलवन मा महक,
सब कुछ सरकार तुम्हई से है,
इठला के पवन,
चूमे सैया के चरण,
बगियन मा बहार तुम्हई से है ॥

मेरे सुख दुःख की रखते हो खबर,
मेरे सर पर साया तुम्हारा है
मेरे सुख दुःख की रखते हो खबर,
मेरे सर पर साया तुम्हारा है
मेरी नैया के खेवनहार तुम्ही,
मेरी नैया के खेवनहार तुम्ही,
मेरा बेड़ा पार तुम्हई से है,
सब कुछ सरकार तुम्हई से है ॥

मैं तो भूल गयी कुछ भी कहना,
तोरी प्रीत में रोवत है नैना,
मैं तो भूल गयी कुछ भी कहना,
तोरी प्रीत में रोवत है नैना,
रग रग में बसी है प्रीत तोरी,
रग रग में बसी है प्रीत तोरी,
अखियन में खुमार तुम्हई से है,
सब कुछ सरकार तुम्हई से है ॥

मेरा दिल ले लो मेरी जान ले लो,
मेरा तन ले लो मेरा मन ले लो,
मेरा दिल ले लो मेरी जान ले लो,
मेरा तन ले लो मेरा मन ले लो,
मेरे इश्क को निस्बत है तुमसे,
मेरे इश्क को निस्बत है तुमसे,
जीवन श्रृंगार तुम्हई से है,
सब कुछ सरकार तुम्हई से है ॥

मैं तो भूल गयी सब सुख चैना,
मोरे जबसे लडे तुम संग नैना,
मैं तो भूल गयी सब सुख चैना,
मोरे जबसे लडे तुम संग नैना,
मोरी नस नस में है प्रीत तोरी,
मोरी नस नस में है प्रीत तोरी,
मेरा सब आधार तुम्हई से है,
सब कुछ सरकार तुम्हई से है ॥

मेरा कोई नहीं है दुनिया में,
मेरा तौल करार तुम्हई से है,
मेरा कोई नहीं है दुनिया में,
मेरा तौल करार तुम्हई से है,
मैं कहाँ जाकर सौदा बेचूं,
मैं कहाँ जाकर सौदा बेचूं,
मेरा सब व्यापार तुम्हई से है,
सब कुछ सरकार तुम्हई से है ॥

ये चमक ये दमक,
फूलवन मा महक,
सब कुछ सरकार तुम्हई से है,
इठला के पवन,
चूमे सैया के चरण,
बगियन मा बहार तुम्हई से है ॥

 

पकड़ लो हाथ बनवारी

पकड़ लो हाथ बनवारी,

नहीं तो डूब जायेंगे,

हमारा कुछ ना बिगड़ेगा,

तुम्हारी लाज जाएगी,

पकड़ लो हाथ बनवारी,

नहीं तो डूब जायेंगे।

धरी है पाप की गठरी,

हमारे सर पे ये भारी,

वजन पापों का है भारी,

इसे कैसे उठाऐंगे,

पकड़ लो हाथ बनवारी,

नहीं तो डूब जायेंगे।।

तुम्हारे ही भरोसे पर,

जमाना छोड़ बैठे हैं,

जमाने की तरफ देखो,

इसे कैसे निभाएंगे,

पकड़ लो हाथ बनवारी,

नहीं तो डूब जायेंगे।।

दर्दे दिल कहे किससे,

सहारा ना कोई देगा,

सुनोगे आप ही मोहन,

और किसको सुनाऐंगे,

पकड़ लो हाथ बनवारी,

नहीं तो डूब जायेंगे।।

फंसी है भँवर में नैया,

प्रभु अब डूब जाएगी,

खिवैया आप बन जाओ,

तो बेड़ा पार हो जाए,

पकड़ लो हाथ बनवारी,

नहीं तो डूब जायेंगे……..

 

राधे राधे रटो चले आएँगे बिहारी

राधे राधे रटो चले आएँगे बिहारी,
राधे राधे रटो चले आएँगे बिहारी,
आएँगे बिहारी चले आएँगे बिहारी,
राधे राधे रटो चले आएँगे बिहारी ॥

राधा मेरी चंदा,
चकोर है बिहारी,
राधा मेरी चंदा,
चकोर है बिहारी,
राधे राधे रटो चले आएँगे बिहारी ॥

राधा रानी मिश्री,
तो स्वाद है बिहारी,
राधा रानी मिश्री,
तो स्वाद है बिहारी,
राधे राधे रटो चले आएँगे बिहारी ॥

राधा रानी गंगा,
तो धार है बिहारी,
राधा रानी गंगा,
तो धार है बिहारी,
राधे राधे रटो चले आएँगे बिहारी ॥

राधा रानी तन है तो,
प्राण है बिहारी,
राधा रानी तन है तो,
प्राण है बिहारी,
राधे राधे रटो चले आएँगे बिहारी ॥

राधा रानी सागर,
तरंग है बिहारी,
राधा रानी सागर,
तरंग है बिहारी,
राधे राधे रटो चले आएँगे बिहारी ॥

राधा रानी मोहनी,
तो मोहन बिहारी,
राधा रानी मोहनी,
तो मोहन है बिहारी,
राधे राधे रटो चले आएँगे बिहारी ॥

राधा मेरी गोरी तो,
साँवरे बिहारी,
राधा मेरी गोरी तो,
साँवरे बिहारी,
राधे राधे रटो चले आएँगे बिहारी ॥

राधा रानी भोली भाली ,
चंचल बिहारी,
राधा रानी भोली भाली ,
चंचल बिहारी,
राधे राधे रटो चले आएँगे बिहारी ॥

राधा रानी नथनी,
तो कंगन बिहारी,
राधा रानी नथनी,
तो कंगन बिहारी,
राधे राधे रटो चले आएँगे बिहारी ॥

राधा रानी मुरली,
तो तान है बिहारी,
राधा रानी मुरली,
तो तान है बिहारी,
राधे राधे रटो चले आएँगे बिहारी ॥

राधे राधे रटो चले आएँगे बिहारी,
राधे राधे रटो चले आएँगे बिहारी,
आएँगे बिहारी चले आएँगे बिहारी,
राधे राधे रटो चले आएँगे बिहारी ॥

निष्कर्ष

श्री कृष्ण जन्माष्टमी एक ऐसा पर्व है जो हमें धर्म, भक्ति और सत्य की राह पर चलने की प्रेरणा देता है। भगवान श्री कृष्ण के जीवन से हमें यह सीख मिलती है कि हर संकट का सामना धैर्य और विश्वास के साथ करना चाहिए। इस जन्माष्टमी, आइए हम सब मिलकर भगवान श्री कृष्ण की पूजा करें और उनके दिव्य संदेश को अपने जीवन में उतारें।

Shri Krishna Janmashtami 2024: Celebrating the Divine Avata

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