MYTHOLOGICAL STORY : Origin of Sun
जानिये कैसे हुई भगवान सूर्य की उत्पत्ति
नमस्कार दोस्तों! हम हैं Triple W, और आज हम एक बहुत ही दिलचस्प और रहस्यमय विषय पर चर्चा करेंगे। हमारी इस यात्रा में हम जानेंगे सूर्य के उत्पत्ति की पौराणिक कथा के बारे में। MYTHOLOGICAL STORY : Origin of Sun
सूर्य, जो हमारे सौरमंडल का केंद्र बिंदु है और हमें ऊर्जा और जीवन प्रदान करता है, जिसके कारण बहुत से लोग सूर्य को देवता या भगवन मानकर जिनकी पूजा-आराधना करते हैं उस सूर्य की उत्पत्ति की कहानियाँ न केवल रोमांचक हैं बल्कि गहराई से भरी हुई भी हैं। विभिन्न संस्कृतियों और पौराणिक कथाओं में सूर्य को लेकर कई अद्भुत और प्रेरणादायक कहानियाँ प्रचलित हैं।
तो चलिए, इन पुरानी कहानियों में से हिन्दू पौराणिक कथा के माध्यम से सूर्य की उत्पत्ति के रहस्यों को उजागर करते हैं और जानते हैं कि कैसे प्राचीन मान्यताओं में सूर्य को एक देवता, एक नायक, और एक जीवनदाता के रूप में पूजा गया। यह यात्रा न केवल हमें इतिहास और संस्कृति के बारे में जानकारी देगी, बल्कि हमें सूर्य के प्रति अपनी श्रद्धा और समझ को भी गहरा करेगी।
तो तैयार हो जाइए, क्योंकि हम अब सूर्य की उत्पत्ति की पौराणिक कथा के रहस्यमय संसार में प्रवेश करने वाले हैं!
वेदों के अनुसार, सूर्य को जगत की आत्मा माना गया है। लोग सूर्यदेव की अराधना पूरे विधि-विधान के साथ और उन्हें अर्घ्य देकर करते हैं। साथ ही उनकी स्तुति और मंत्रों का भी जाप करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सूर्यदेव की उत्पति कैसे हुई। अगर नहीं तो आइये आज के इस ब्लॉग में हम जानते हैं आखिर क्या है भगवन सूर्य के उत्पत्ति की कहानी I उम्मीद करते हैं की आपको ये कहानी अत्यंत पसंद आएगी
मार्कंडेय पुराण के अनुसार, जब पूरे जगत में प्रकाश नहीं था तब कमलयोनि ब्रह्मा जी प्रकट हुए। उनके मुख से जो पहला शब्द निकला वो था ॐ। यह शब्द सूर्य के तेज का सूक्ष्म रूप था। फिर ब्रह्मा जी ने चारों मुखों से चार वेद प्रकट किए। यह चारों मिलकर ॐ के तेज में एकाकार हो गए। ब्रह्मा जी ने प्रार्थना की जिससे सूर्य ने अपने महातेज को समेट कर स्वल्प तेज को धारण किया।
जब सृष्टि की रचना हुई थी तब ऋषि कश्यप जो ब्रह्मा जी के पुत्र मरीचि के पुत्र थे, का विवाह अदिति से हुआ था। अदिति ने भगवान सूर्य को प्रसन्न करने के घोर तपस्या की। उनके तप का फल यह मिला कि सुषुम्ना नाम की किरण ने उनके गर्भ में प्रवेश किया। इस अवस्था में भी अदिति के कठिन व्रत नहीं थमे। वो चान्द्रायण जैसे कठिन व्रतों का पालन करती रहीं। यह देख ऋषि राज कश्यप बेहद क्रोधित हुए। उन्होंने कहा कि इस अवस्था में व्रत करने से गर्भस्थ शिशु को नुकसान होगा। इस तरह शिशु मर जाएगा। तुम क्यों शिशु को मरना चाहती हो।
यह सुन अदिति ने उसके गर्भ में पल रहे बालक को उदर से बाहर निकाल दिया। यह बेहद दिव्य तेज से प्रज्वल्लित हो रहा था। इसके बाद सूर्य भगवान शिशु के रूप में अदिति के गर्भ में प्रगट हुए। अदिति को मारिचम- अन्डम कहा जाता था। इससे ही बालक का नाम मार्तंड पड़ा। ब्रह्मपुराण में अदिति के गर्भ से जन्मे सूर्य के अंश को विवस्वान कहा गया है।
