स्वच्छता का संदेश

स्वच्छता का संदेश

स्वच्छता का संदेश

(एकांकी नाटक)

पात्र :
1. अथर्व – एक युवा लड़का, जो स्वच्छता अभियान का हिस्सा बनना चाहता है।
2. राजू – अथर्व का दोस्त, जो सफाई के महत्व को नहीं समझता।
3. महमूद – मोहल्ले का दुकानदार, जो हर रोज सफाई करते देखता है।
4. जिज्ञासा – अथर्व की बहन, जागरूक और समझदार।
5. प्रतिभा – अथर्व की माँ, घर की साफ-सफाई का ध्यान रखती है।
6. संजय – पड़ोस का एक बुजुर्ग व्यक्ति, गांधीजी के विचारों से प्रेरित।
7. गांधीजी की आवाज – अंत में गांधीजी का संदेश।

(मंच पर गांधी जयंती के दिन का माहौल है। बच्चे झंडे के साथ खेल रहे हैं। सफाई अभियान की चर्चा हो रही है।)

प्रथम दृश्य

(अथर्व, राजू और जिज्ञासा एक पार्क में बैठे हैं। पार्क गंदगी से भरा है।)

अथर्व : (गुस्से में) देखो यार, ये पार्क कितना गंदा हो गया है। हर जगह कूड़ा-कचरा फैला हुआ है। हमें कुछ करना चाहिए!

राजू : (हंसते हुए) अरे छोड़ो यार, ये हमारी जिम्मेदारी थोड़ी है? सफाई वाले लोग हैं न, वही करेंगे।

जिज्ञासा : (गंभीरता से) राजू, तुम गलत सोच रहे हो। ये हमारी भी जिम्मेदारी है। गांधीजी ने भी कहा था कि स्वच्छता सिर्फ सरकार की नहीं, बल्कि हर नागरिक की जिम्मेदारी है।

राजू : (उदासीनता से) हाँ हाँ, सुना तो है, पर क्या फ़र्क पड़ता है?

अथर्व: (उत्साहित होकर) फर्क पड़ता है! हम शुरुआत करेंगे। चलो, आज से ही पार्क की सफाई करते हैं।

द्वितीय दृश्य

(महमूद अपनी दुकान के बाहर सफाई कर रहा है। अथर्व, जिज्ञासा और राजू वहाँ पहुँचते हैं।)

महमूद : (मुस्कुराते हुए) अरे बच्चो, आजकल क्या नया कर रहे हो?

अथर्व : (जवाब देते हुए) चाचा, हम सफाई अभियान शुरू कर रहे हैं। आप भी साथ देंगे?

महमूद : (खुश होकर) जरूर! गांधीजी हमेशा सफाई पर जोर देते थे। मैं हर रोज अपनी दुकान के बाहर सफाई करता हूँ। अगर सब ऐसा करने लगें, तो हमारा मोहल्ला चमक उठेगा।

राजू : (हैरान होकर) चाचा, आप रोज़ सफाई करते हैं?

महमूद : हाँ बेटा, सफाई मन और शरीर दोनों को स्वस्थ रखती है। गांधीजी के आदर्शों का पालन करना हमारे लिए गर्व की बात है।

 तृतीय दृश्य

(संजय जी अपने घर के बाहर बैठे हैं, और अथर्व, राजू, जिज्ञासा व महमूद सफाई करते हुए उनके पास आते हैं।)

संजय : (मुस्कुराते हुए) वाह! आज तो पूरा मोहल्ला स्वच्छ हो रहा है। क्या बात है!

प्रतिभा : (सफाई में शामिल होते हुए) हाँ, संजय जी। ये बच्चे ही हैं जो गांधीजी के सपनों को साकार कर रहे हैं।

अथर्व : (उत्साहित होकर) गांधीजी ने कहा था कि स्वच्छता ईश्वर भक्ति के बराबर है। हम भी उनकी तरह स्वच्छ भारत का सपना पूरा करेंगे।

संजय : (गंभीरता से) बहुत सही! सफाई केवल बाहर की नहीं, हमारे विचारों की भी होनी चाहिए। और यही गांधीजी का असली संदेश है।

राजू : (अब प्रभावित होकर) मुझे अब समझ में आ गया कि स्वच्छता कितनी जरूरी है। मैं भी इस अभियान का हिस्सा बनूंगा!

अंतिम दृश्य

(सभी सफाई कर रहे हैं और एक साथ स्वच्छता का गीत गाते हैं। अचानक गांधीजी की आवाज मंच पर गूँजती है।)

(कोरस)
चलो चलें, स्वच्छता की राह,
गांधीजी का ये सच्चा है सपना,
स्वच्छ भारत, सुंदर भारत,
हम सब मिलकर इसे बनाएँ अपना।

(अंतरा 1)
हर गली, हर सड़क चमकेगी,
जब हम सफाई की ज्योत जलाएँ,
कचरे को अब दूर भगाएँ,
मिलकर नया इतिहास बनाएँ।

(कोरस)
चलो चलें, स्वच्छता की राह,
गांधीजी का ये सच्चा है सपना,
स्वच्छ भारत, सुंदर भारत,
हम सब मिलकर इसे बनाएँ अपना।

(अंतरा 2)
घर हो साफ, आँगन हो प्यारा,
नदी-तालाब भी हों उजियारा,
पेड़ लगाएँ, पानी बचाएँ,
हम धरती को स्वर्ग बनाएँ।

(कोरस)
चलो चलें, स्वच्छता की राह,
गांधीजी का ये सच्चा है सपना,
स्वच्छ भारत, सुंदर भारत,
हम सब मिलकर इसे बनाएँ अपना।

(अंतरा 3)
एक-एक कदम जब आगे बढ़ेगा,
तो देश हमारा सबसे चमकेगा,
गांधीजी के सपनों को पूरा,
हम सब मिलकर करेंगे पूरा।

(कोरस)
चलो चलें, स्वच्छता की राह,
गांधीजी का ये सच्चा है सपना,
स्वच्छ भारत, सुंदर भारत,
हम सब मिलकर इसे बनाएँ अपना।

गांधीजी की आवाज : “स्वच्छता ही सेवा है। एक स्वच्छ समाज ही स्वस्थ समाज हो सकता है। मेरा सपना है कि हर भारतीय अपने घर, अपने मोहल्ले, और अपने देश को स्वच्छ बनाए।”

(सभी पात्र एक साथ झंडे को सलामी देते हैं और स्वच्छता का संकल्प लेते हैं।)

सभी पात्र (एक स्वर में): “हम संकल्प लेते हैं कि हम अपने देश को स्वच्छ और सुंदर बनाएंगे। गांधीजी के सपनों को साकार करेंगे!”

(पर्दा गिरता है।)

संदेश:
गांधी जयंती के अवसर पर हम सबको यह याद रखना चाहिए कि स्वच्छता केवल एक आदत नहीं, बल्कि हमारी जिम्मेदारी है। गांधीजी के सिद्धांतों पर चलते हुए हम सभी को अपने देश को स्वच्छ और स्वस्थ बनाने की दिशा में काम करना चाहिए।

समाप्त।

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